विपक्ष ने आम बजट में स्कूली शिक्षा में व्यय प्रस्तावों में कमी करने की कड़ी आलोचना की और कहा कि गरीब बच्चों में डिजीटल डिवाइड की भरपाई करने की जरूरत पर सरकार का कोई ध्यान नहीं हैं। वर्ष 2021-22 के आम बजट में शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने कहा कि यह खेद की बात है कि शिक्षा मंत्रालय में लक्ष्य का निधार्रण एवं बजट का आवंटन दोनों ही कम हैं। शिक्षा को कम से कम छह प्रतिशत आवंटन मिलना चाहिए लेकिन मिला केवल 2.67 प्रतिशत। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 3.2 प्रतिशत है।
बजट में स्कूली शिक्षा के खर्च में हजारों रुपये की कटौती: थरूर
थरूर ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षा बजट में स्कूली शिक्षा तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण में हजारों करोड़ रुपए की कटौती की गयी है। ऑनलाइन शिक्षा एवं डिजिटल कक्षाओं के लिए अधिक आवंटन किया जाना था। होनहार गरीब बच्चों को आवश्यक उपकरण दिये जाने चाहिए। तभी उनको डिजीटल डिवाइड से बचाया जा सकता है। उन्होंने सैनिक स्कूलों को गैर सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के सहयोग से चलाने के सुझाव को स्वागत योग्य बताया। उन्होंने मध्याह्न भोजन एवं नाश्ता दिये जाने की योजना में अधिक धन आवंटन की जरूरत जतायी।
भरे जाएं शिक्षकों के खाली पड़े पद
कांग्रेस नेता ने देश के शिक्षण संस्थानों में करीब 23 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। उन्हें भरने के लिए समुचित कदम उठाने चाहिए। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए 0.5 प्रतिशत की खर्च किया जा रहा है। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं में संकुचित विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में सस्ती एवं अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करने की भी मांग की।
सत्ता पक्ष की ओर से भारतीय जनता पार्टी के डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि वर्ष 2021-22 के आम बजट में शिक्षा का बजट वर्ष 2047 में भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि देश में पुरानी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव आया है और नयी व्यवस्था लायी गयी है। उन्होंने बजट में कटौती के कांग्रेस नेता के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि बीते पांच वर्षों में शिक्षा के बजट में दस गुना इजाफा हुआ है। डिजीटल ई-लर्निंग के मद में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है।
डॉ. जायसवाल ने कहा कि दस हजार करोड़ रुपए शोध एवं अनुसंधान के लिए रखे गये हैं। शिक्षा के अधिकार कानून को छह से 14 वर्ष के बच्चों की बजाय तीन से 18 वर्ष के बच्चों के लिए बनाया गया है। मातृभाषा में अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन और नाश्ते की योजना को उन्हें कुपोषण से मुक्ति दिलाने वाली व्यवस्था बताया और कहा कि सरकार ने इसके लिए पयार्प्त इंतजाम किया है।
उन्होंने मांग की कि देश में इतिहास को विदेशी आक्रांता का इतिहास पढ़ाया जाता है जबकि विदेशी आक्रांता को पराजित करने वाले का इतिहास पढ़ाये जाने की जरूरत है।